हरियाणा ऐडिड कॉलेज कर्मचारियों का धरना–वेतन, एचआरए, ग्रेच्युटी और टेकओवर की उठी मांग
हरियाणा ऐडिड कॉलेज कर्मचारियों का धरना–वेतन, एचआरए, ग्रेच्युटी और टेकओवर की उठी मांग
हरियाणा के ऐडिड कॉलेज कर्मचारियों का धरना – वेतन से लेकर टेकओवर तक की उठी मांग
सोनीपत,26 सितंबर(DAINIK JAGRUK):(kuldeep ranga)
हरियाणा प्रदेश के सभी 97 सरकारी सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के शिक्षक व गैर शैक्षिक कर्मचारियों ने वेतन, एचआरए, ग्रेच्युटी सहित अन्य मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया। प्रदेश के एडेड कॉलेजों में लगभग 4700 पद स्वीकृत है जिनमें से लगभग 3000 शैक्षिक व गैर शैक्षिक कर्मचारी कार्यरत है, जिन्हें 95% अनुदान सरकार द्वारा दिया जाता है। इन महाविद्यालयों में से ज्यादातर कॉलेज आजादी से पहले या हरियाणा प्रदेश के गठन से पहले के हैं। पिछले एक दशक से कॉलेजों में कार्यरत स्टाफ में सरकार व विभाग के उदासीन रवैये को लेकर संघर्षरत हैं।
कर्मचारियों की प्रमुख मांगे
एसीपी का लाभ, संशोधित मकान किराया भत्ता, 01.01.2006 के बाद नियुक्त कर्मचारियों को ग्रैच्युटी का लाभ, सेवा नियम 2006 व लीव रूल्स 2002 में संशोधन, मेडिकल, आकस्मिक अवकाश के दिशा-निर्देश, सीसीएल और टेकओवर आदि।
इन सभी माँगों को लेकर शैक्षिक और गैर शिक्षक यूनियन लगातार सरकार के समक्ष अपनी बात रख रही है, लेकिन विभागीय टेबलों पर ये माँगें वर्षों से दबकर रह जाती हैं।
प्रबन्धक समितियों और प्रिंसिपल्स की चुपी चुभने लगी
सबसे बड़ी विडंबना यह है कि जब कर्मचारी वेतन न मिलने से जूझ रहे हैं तो कॉलेजों की मैनेजमेंट और प्रिंसिपल्स इस मुद्दे पर चुप्पी साधे बैठे हैं। न तो कोई प्रिंसिपल और न ही कॉलेजो की मैनेजमेंट सरकार के समक्ष स्टाफ के पक्ष में आवाज उठाती है। सवाल उठता है कि आखिर इन मैनेजमेंट कमेटियों का अस्तित्व किसलिए है? उनका पहला और सबसे बड़ा फर्ज होना चाहिए कि कर्मचारियों और बच्चों का हित सुरक्षित हो और सरकार के सामने वेतन जैसे बुनियादी मुद्दों को जोर-शोर से उठाएं।
टेकओवर की मांग तेज़:
लगातार अनदेखी और असुरक्षित भविष्य को देखते हुए कर्मचारियों ने सरकार से सभी ऐडिड कॉलेजों के स्टाफ को टेकओवर करने की माँग रखी है। इस संबंध में विभागीय स्तर पर फ़ाइल चलकर पॉलिसी तक तैयार भी कर ली गई थी। यूनियन का तर्क है कि जिस प्रकार पहले सरकार ने ऐडिड स्कूलों के स्टाफ को टेकओवर किया था, उसी तर्ज पर ऐडिड कॉलेजों के कर्मचारियों को भी टेकओवर करना ही स्थायी समाधान है।
एक तरफ राज्य सरकार बड़े-बड़े मंचों से शिक्षकों और शिक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के दावे करती है, दूसरी तरफ कार्यरत कर्मचारी महीनों तक अपनी सैलरी के लिए तरसते रहते हैं। यह स्थिति न केवल कर्मचारियों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर रही है, बल्कि कॉलेजों के कामकाज और शैक्षणिक माहौल पर भी असर डाल रही है। इस धरने प्रदर्शन में बिजेंद्र कुमार, सतपाल शर्मा, सोहन लाल, प्रवीण कुमार, राम कुमार, हेमचंद, चंद्रप्रकाश सैनी, अशोक कुमार, डॉ राकेश, डॉ जयपाल, डॉ राजबीर, डॉ एच कौर सहित प्रदेश के सभी कॉलेजों के संकड़ों कर्मचारियों ने भाग लिया।
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि अगर जल्द ही बकाया वेतन जारी नहीं किया गया तो मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाने पर विवश होंगे।
Comments