औद्योगिक क्षेत्र का विकास तभी हो सकता है जिसका श्रमिक खुशहाल हो: अशोक कुमार, कुलपति@dainikjagruk
औद्योगिक क्षेत्र का विकास तभी हो सकता है जिसका श्रमिक खुशहाल हो: अशोक कुमार, कुलपति@dainikjagruk
सोनीपत(kuldeep ranga): डॉ. बी.आर. अंबेडकर राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, सोनीपत के श्रम अध्ययन केंद्र, तथा श्रम विभाग हरियाणा के सहयोग से आज विश्वविद्यालय में औद्योगिक सुरक्षा और श्रम संहिताओं पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन विश्वविद्यालय के कुलपति अशोक कुमार की अध्यक्षता में किया गया। इस कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रुप में डॉ. ओंकार शर्मा, भारत सरकार के सलाहकार, सह वक्ता के रुप में पवन कुमार, क्षेत्रीय संगठन सचिव, भारतीय मजदूर संघ उपस्थित हुएं। कुलपति अशोक कुमार ने आये अतिथियों को पुष्प देकर उनका स्वागत किया गया। राष्ट्रीय कार्यशाला का शुरुआत दीप प्रज्वलन से किया गया। मंच पर उपस्थित अतिथियों को कुलपति अशोक कुमार द्वारा स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका सम्मान किया गया। हम बहुत गर्व महसूस कर रहे है कि यह कार्यशाला ऐसे महत्वपूर्ण समय में आयोजित की जा रही है, जब भारत अपने श्रम नियामक ढांचे में महत्वपूर्ण बदलावों से गुजर रहा है। हाल ही में 29 केंद्रीय श्रम कानूनों को 4 व्यापक श्रम संहिताओं में समेकित किया गया है - मजदूरी संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता - यह इस बात में एक आदर्श बदलाव है कि हम श्रमिकों के अधिकारों, कार्यस्थल सुरक्षा और नियोक्ता की जिम्मेदारियों के बारे में कैसे सोचते हैं और कानून बनाते हैं। यह कार्यशाला संवाद को बढ़ावा देने, दृष्टिकोणों के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने और इन महत्वपूर्ण विषयों के बारे में हमारी सामूहिक समझ को मजबूत करने का प्रयास करती है। हम इस तरह के सार्थक आदान-प्रदान के लिए एक मंच के रूप में काम करने पर गर्व महसूस करते हैं। यह कार्यक्रम कानूनी उत्कृष्टता, सार्वजनिक नीति जुड़ाव और सामाजिक-आर्थिक न्याय के प्रति हमारी निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
कुलपति अशोक कुमार ने कहां कि कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुएं अहम कदम उठाने की आवश्यकता है। असंगठित क्षेत्र में जो मजदूर कार्य कर रहे है उनका जीवन सुरक्षित नहीं है, जिस कारण उनको भविष्य में कई समस्याओं से गुजरना पड़ता है। हमें ऐसे कानून बनाने की आवश्यकता है जिनसे उनका रोजगार सुरक्षित हो और उसके साथ-साथ जिस सैक्टर में कार्य कर रहे हो उसकी प्रगति होना भी बहुत जरुरी है। आज हमारे सामने देश में बाल श्रम कानून लागू है, परन्तु आज भी कई बच्चे गैर संगठित क्षेत्र में बाल मजदूरी कर रहे है, जो हमारे लिए बहुत ही गंभीर मसला है, अगर हमारे देश में बाल मजदूरी समाप्त करनी है तो पहले हमें उनके माता पिता का सहयोग लेना बहुत आवश्यक है। इसके अतिरिक्त उन्होंने कहां हमारा देश सदा दान-पुण करने के लिए तैयार रहता है, हमें जब तक औद्योगिक जगत अपने कर्मचारियों की चिंता नहीं करेगें तब तक देश प्रगति नहीं कर पायेगा।
इस अवसर पर सह वक्ता पवन कुमार, क्षेत्रीय संगठन सचिव, भारतीय मजदूर संघ ने कहां पहले हमें अपने देश के अंदर विभिन्न संगठनों एवं गैर संगठित संस्थानों में जो मजदूरी कर रहे है उनके जीवन शैली को बदलने की अति आवश्यकता है। आज हमें औद्योगिक क्षेत्र में कई तरह के बदलाव लाने की जरूरत है जैसे कि निजी क्षेत्र में कार्य कर रहे मजदूरों की जीवन सुरक्षा को प्राथमिकता प्रदान करना, उन्हें साफ सुथरा वातावरण प्रदान करना तथा उनके कार्य को अति सरल बनाने हेतु निरंतर प्रयास करना बहुत जरूरी है। अगर हम अपने ग्रंथों में वर्णित नियमों के अनुसार चले तो मजदूरों को जीवन को बहुत ही सरल एवं खुशहाल बनाया जा सकता है। आज हमें अपने इतिहास को पढ़ना बहुत जरुरी है जो अपना इतिहास नहीं पढ़ते उनका भविष्य सुरक्षित नहीं है।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. (डॉ.) आशुतोष मिश्रा ने मंच से संबोधित करते हुएं कहां हमारे देश के विकास में सबसे बढ़ा योगदान है मजदूरों का, जिन्हें हम अनदेखा नहीं कर सकते। हमारा विश्वविद्यालय मजदूरो के भविष्य में निरंतर सुधार करने हेतु कानून बनाने के लिए जो भी सहायता होगी इस विश्वविद्यालय के द्वारा प्रदान की जायेगी। कुलसचिव ने इस कार्यक्रम में आये सभी अतिथियों का धन्यवाद किया तथा इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अपनी टीम एवं छात्रों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर संजय मलिक, उप निदेशक, औद्योगिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य श्रम विभाग, हरियाणा, एन.एस. मान सहायक निदेशक, औद्योगित सुरक्षा एवं स्वास्थ्य श्रम विभाग, हरियाणा, वकील पुनिया, सहायक निदेशक औद्योगित सुरक्षा एवं स्वास्थ्य श्रम विभाग, हरियाणा, राई औद्यौगिक क्षेत्र के अध्यक्ष राकेश छाबड़ा, डॉ. बलबिन्द्र कौर, सह-आचार्य, रजनीश मलिक अधिवक्ता, डॉ. सुखविन्द्र सिंह, डॉ. मधुकर शर्मा, डॉ. रामफूल, ललित इत्यादि उपस्थित रहे।
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