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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 को लागू करना एक ऐतिहासिक कदमः डॉ. राजेश कुमार मोहन, आई.पी.एस.


सेनीपतः डॉ. बी.आर. अम्बेडकर राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, सोनीपत में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बी.एन.एस.एस.), 2023 के तहत जांच पर व्यावहारिक अंतर्दृष्टि पर कार्यशाला का आयोजन कुलपति अशोक कुमार की अध्यक्षकता में किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि एवं प्रवक्ता के रुप में डॉ. राजेश कुमार मोहन, आई.पी.एस. अधिकारी उपस्थित हुएं। डॉ. राजेश कुमार मोहन ने कहां भारत सरकार द्वारा हाल में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 को अधिनियमित किया गया है। इस संहिता से न्यायिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीति के प्रति बचनबद्धता को रुपांतरित करने में सहायता मिलेगी। इसके अतिरिक्त देश के सभी नागरिकों के लिए समानता और बंधुता सुनिश्चित करने में भी आसानी होगी। संहिता के माध्यम से भारतीय संविधान में उल्लिखित रुप में मूल कर्तव्यों को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी। इससे भारत के सभी लोगों के बीच सामान्य भाईचारे की भावना, धर्म, भाषा संबंधी और क्षेत्रीय या वर्गीय विविधताओं से उपर उठने व महिलाओं की गरिमा के लिए अपमानजनक प्रथाओं का परित्याग करने में मदद मिलेगी।

संहिता के चार मुख्य स्तंभ है जैसेकि अपराधों के निवारण के लिए समयसीमा तय करना, विधि प्रौद्योगिकी, विधि प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना तथा पीड़ित को केन्द्रित करना है। इस संहिता से भारतीय न्याय प्रणाली में बहुत सुधार आया है, इसका मुख्य उदेश्य भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली को तव्रित एवं आधुनिक बनाया जाये तथा समाज की समकालीन आवश्यकताओं के प्रति अधिक संवेदनशील बनाया जाएं। इस संहिता में किए गए बदलाव का सरकार द्वारा उठाया गया कदम ऐतिहासिक है। इसके इलावा नागरिक-केंद्रित आपराधिक प्रक्रिया शुरू करके, बी.एन.एस.एस. आपराधिक न्याय प्रणाली के भीतर लंबे समय से चली आ रही समस्याओं जैसे जटिल कानूनी प्रक्रियाओं, अदालतों में आपराधिक मामलों का लंबित होना और अपराध स्थल की जांच में फोरेंसिक विज्ञान और अन्य वैज्ञानिक तरीकों के अपर्याप्त उपयोग को प्रभावी ढंग से संबोधित करता है। यह उन प्रावधानों पर केंद्रित है जो पुलिस को उन्नत तकनीक और फोरेंसिक विज्ञान पर निर्भरता का उपयोग करके पेशेवर, शीघ्रता से और प्रभावी ढंग से जांच करने में सक्षम बनाते हैं। इसका प्राथमिक उद्देश्य अपराधी की पहचान करना और कथित अपराधी के खिलाफ कानूनी प्रावधानों के अनुसार उचित दंड देने के लिए मुकदमा शुरू करने के लिए साक्ष्य एकत्र करना है। संहिता, 2023 जांच प्रक्रिया में कई सुधारों को पेश करता है, जिसमें विश्वास को बढ़ावा मिलने और शामिल सभी पक्षों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक संचार और फोरेंसिक विज्ञान का उपयोग शामिल है। इस मौके पर डॉ. राजेश कुमार मोहन को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया, उनके साथ विधि विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. आशुतोष मिश्रा, डॉ. पूजा जायसवाल, डीन अकादमिक अफेयर इत्यादि उपस्थित रहे।

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