Poorn Murti Global School Celebrates Teachers’ Day with Grandeur in Sonipat
Poorn Murti Global School Celebrates Teachers’ Day with Grandeur in Sonipat
पूर्ण मूर्ति ग्लोबल स्कूल में बड़े ही धूमधाम और गरिमामय वातावरण में मनाया गया शिक्षक दिवस
- महान दार्शनिक व भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन की तस्वीर पर माल्यार्पण कर दी गई उन्हें श्रद्धांजलि
सोनीपत,06 सितंबर(DAINIK JAGRUK):(kuldeep ranga)
06 सितंबर । पूर्ण मूर्ति ग्लोबल स्कूल, कामी रोड में शिक्षक दिवस बड़े ही धूमधाम और गरिमामय वातावरण में मनाया गया। पूर्ण मूर्ति कैंपस के चेयरमैन डॉ.विजयपाल नैन, सचिव गौतम नैन, स्कूल की प्राचार्या हिमानी दहिया व उप प्राचार्य वरुण ने भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन की तस्वीर पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर विद्यालय के सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं ने भी पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किया। समारोह के दौरान छात्र-छात्राओं ने गुरु वंदना व सांस्कृतिक कार्यक्रमों की आकर्षक प्रस्तुति देकर अपने गुरुओं के प्रति श्रद्धा व निष्ठा व्यक्त की। स्कूल प्रबंधन ने शिक्षा व अन्य क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल करने वाले अध्यापक-अध्यापिकाओं को सम्मानित किया।
डॉ.विजयपाल नैन ने कहा कि डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान दार्शनिक, महान शिक्षाविद तथा शिक्षक थे। शिक्षा के क्षेत्र में डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के महत्वपूर्ण योगदान को सम्मान देने के लिए उनके जन्मदिन के दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश का उज्जवल भविष्य उस देश के शिक्षकों पर निर्भर करता है। वे युवाओं को सही दिशा में आगे बढ़ाने और सही रास्ता दिखाने का काम करते हैं । शिक्षक केवल हमें पढ़ाई ही नहीं कराते, बल्कि जीवन के मूल्यों, अनुशासन और अच्छे संस्कार भी सिखाते हैं। वे अज्ञानता के अंधकार से हमें ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाते हैं और भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करते हैं। शिक्षक दिवस हमारे जीवन में शिक्षकों के योगदान को सम्मानित करने का विशेष अवसर है। शिक्षक दिवस हमें यह याद दिलाता है कि शिक्षक हमारे जीवन के सच्चे मार्गदर्शक और प्रेरणा स्रोत हैं।
प्राचार्या हिमानी दहिया ने कहा कि शिक्षा के बारे में डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के विचार आज भी प्रासंगिक हैं । उनके विचारों का अनुसरण कर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में सफल हो सकता है। डॉ.राधाकृष्णन ने शिक्षा के प्रति छात्रों को प्रोत्साहित करने और शिक्षक के इस प्रतिष्ठित पद की गरिमा बढ़ाने के लिए कई विचार दिए। उनका कहना था कि जहां कहीं से भी कुछ सीखने को मिले अपने जीवन में उतार लेना चाहिए। वह पढ़ाने से ज्यादा छात्रों के बौद्धिक विकास पर जोर देने की बात करते थे। उनका मानना था कि किताब पढ़ना, हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची खुशी देती है। पुस्तकें वो साधन हैं, जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं। विद्यार्थियों को कल्पनाशील होने के साथ-साथ स्वस्थ और आत्मविश्वासी भी होना चाहिए। यह उसके लक्ष्य तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करता है।इस मौके पर अध्यापिका मीनाक्षी, सोनू ,नीलम, रितु, अंजलि, संगीता,सुरेश, कविता, नीशू , नेहा सहित सभी स्टाफ सदस्य मौजूद रहे।
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